विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत भारतीय सर्वेक्षण विभाग, जो देश का राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संगठन है तथा भारत सरकार का सबसे पुराना वैज्ञानिक विभाग है। इसकी स्थापना 1767 में की गई थी एवं कालांतर में इसने समृद्ध परंपराएं विकसित की हैं। देश की प्रधान मानचित्रण एजेंसी के रूप में अपनी नियत भूमिका में भारतीय सर्वेक्षण विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष जिम्मेदारी निर्वहन करता है कि देश के कार्य क्षेत्र का पता लगाया जाए और उपयुक्त रूप से उसका मानचित्रण कर त्वरित और एकीकृत विकास के लिए आधार मानचित्र प्रदान कर यह सुनिश्चित किया जाए कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए सभी संसाधन देश की प्रगति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए अपना पूर्ण योगदान करते हैं।
भारतीय सर्वेक्षण विभाग का इतिहास 18वीं शताब्दी का है। ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के अग्रदूतों और सर्वेक्षकों के पास अज्ञात की खोज करने का एक कठिन कार्य था। सर लैम्बटन और सर जॉर्ज एवरेस्ट जैसे सर्वेक्षकों की एक विशिष्ट पंक्ति के श्रमसाध्य प्रयासों से भारतीय भूभाग की चित्रपट धीरे-धीरे पूरी हुई। आजादी के समय देश को वैज्ञानिक सिद्धांतों पर निर्मित सर्वेक्षण नेटवर्क विरासत में मिला वह ऐसे सर्वेक्षकों की दूरदर्शिता को ही श्रद्धांजलि है । उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक देश में फैली वृहत त्रिकोणमितीय श्रृंखला दुनिया में उपलब्ध कुछ बेहतरीन जियोडेटिक नियंत्रण श्रृंखलाएं हैं। योजनाकारों और वैज्ञानिकों के द्वारा डेटा की बहु-विषयक आवश्यकता को पूरा करने के लिए सर्वेक्षण के वैज्ञानिक सिद्धांतों को नवीनतम तकनीक द्वारा संवर्धित किया गया है।
1950 में विभाग केवल 5 निदेशालयों में संगठित था जो देश के सभी भागों (राज्यों) के विकास के लिए आवश्यक बुनियादी मानचित्र व्यापक रूप से प्रदान करने, मुख्य रूप से उत्तर पश्चिम और उत्तर पूर्व में रक्षा बलों की मानचित्रण आवश्यकताओं को देखने के लिए विभाग में अब 22 निदेशालय स्थाआपित किए गए है । दुनिया में नवीनतम तकनीक को भू-विज्ञान, भूमि और संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में रक्षा बलों, योजनाकारों और वैज्ञानिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुस्थारपित किया गया । इसकी विशेषज्ञ सलाह का उपयोग भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और उपक्रमों द्वारा कई संवेदनशील क्षेत्रों सहित अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं, राज्य की सीमाओं के परिनिर्धारण और अब तक विकसित क्षेत्रों के नियोजित विकास में सहायता करने के लिए किया जा रहा है ।
अंकीय स्थ लाकृति डेटा की आवश्यगकता को महसूस करते हुए, विभाग ने विभिन्नप नियोजन प्रक्रियाओं और भौगोलिक सूचना पद्धति के निर्माण में उपयोग के लिए संपूर्ण देश का अंकीय स्थतलाकृति डेटा बेस तैयार करने के लिए अस्सीग के दशक के अंत में तीन अंकीय केन्द्र स्थापित किए । इसके विशेष निदेशालय जैसे- ज्योंडीय एवं अनुसंधान शाखा और भारतीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संस्था न (पूववर्ती सर्वेक्षण प्रशिक्षण संस्थाान) को उपयोगकर्ता समुदाय की बढ़़ती आवश्याकता को पूरा करने के लिए सुदृढ़ किया गया है । विभाग भू-भौतिकी, सुदूर संवेदन और डिजिटल डेटा ट्रांसफर के क्षेत्र से संबंधित देश के कई वैज्ञानिक कार्यक्रमों में भी सहायता कर रहा है ।